सैम पित्रोदा बार-बार क्यों कांग्रेस की कर रहे हैं मिट्टी पलीद, चुनाव के बीच ऐसे बयान का क्या मतलब?

नई दिल्ली : देश में लोकसभा चुनाव का दौर चल रहा है। तीसरे चरण की वोटिंग पूरी हो चुकी है। देश की लगभग आधी सीटों पर चुनाव वोट डाले जा चुके हैं। इस बीच विवादित बयानों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस की तरफ से इसका जिम्मा तो मानों सैम

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नई दिल्ली : देश में लोकसभा चुनाव का दौर चल रहा है। तीसरे चरण की वोटिंग पूरी हो चुकी है। देश की लगभग आधी सीटों पर चुनाव वोट डाले जा चुके हैं। इस बीच विवादित बयानों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस की तरफ से इसका जिम्मा तो मानों सैम पित्रोदा ने ही ले लिया हो। चुनाव के मोड़ पर जहां बीजेपी-कांग्रेस एक दूसरे पर बढ़त लेने की कोशिश में जुटे हैं वहीं, सैम ने मानों कांग्रेस की मिट्टी पलीद करने का मन ही बना लिया है। सैम जाने अनजाने कांग्रेस के लिए अपने बयानों से आत्मघाती गोल कर दे रहे हैं। अभी विरासत कर का मुद्दा शांत भी नहीं हुआ था कि अब सैम पित्रोदा ने देश में पूर्वोत्तर के लोगों की तुलना चीन से कर दी। बयान पर हंगामा मचने के बाद आखिरकार उन्होंने इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है जिसे कांग्रेस आलाकमान ने स्वीकार भी कर लिया है। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब सैम ने इस तरह का विवादित बयान दिया है। इस नस्ली टिप्पणी से पहले सैम पित्रोदा विरासत कर, राम मंदिर निर्माण के अलावा 2019 के चुनावों में सिखों के नरसंहार की घटना पर भी विवादित बयान दे चुके हैं। आइए नजर डालते हैं सैम ने कब-कब पार्टी के लिए अपने बयानों से परेशानी खड़ी की है।

'पूर्वोत्तर के लोग चीन जैसे दिखते हैं'

'इंडियन ओवरसीज कांग्रेस' के प्रमुख पित्रोदा ने एक पॉडकास्ट किया। इसमें उन्होंने भारत की विविधता और यहां के लोगों का जिक्र करते हुए कुछ उपमाएं दीं। उन्होंने कहा कि हम भारत जैसे विविधता से भरे देश को एकजुट रख सकते हैं। जहां पूर्वोत्तर के लोग चीनी जैसे लगते हैं, पश्चिम के लोग अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर के लोग गोरों और दक्षिण भारतीय अफ्रीकी जैसे लगते हैं। इस बयान के बाद बीजेपी को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल गया। बीजेपी ने पित्रोदा की 'नस्ली' टिप्पणियों को लेकर उनके साथ ही कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया। पीएम मोदी से लेकर बीजेपी के प्रवक्ताओं ने इसे कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति करार दे दिया। विवाद बढ़ते देख कांग्रेस ने पित्रोदा के बयान से खुद को किनारे कर लिया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सैम पित्रोदा की तरफ से भारत की विविधताओं को जो उपमाएं दी गई हैं, वह अत्यंत गलत और अस्वीकार्य हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इन उपमाओं से अपने आप को पूर्ण रूप से अलग करती है।


विरासत कर का किया था समर्थन

सैम पित्रोदा ने पिछले महीने विरासत कर का जिक्र करते हुए उसका समर्थन किया था। पित्रोदा ने कहा था कि अमेरिका में 55 फीसदी विरासत टैक्स लगता है। सरकार 55 फीसदी हिस्सा ले लेती है। उन्होंने कहा था कि संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए। अगर किसी व्यक्ति के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है तो उसके मरने के बाद 45 फीसदी संपत्ति उसके बच्चों को और 55 फीसदी पर सरकार का अधिकार होता है। उन्होंने कहा कि भारत में ऐसा कानून नहीं है। ऐसे मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए। इस बयान को लेकर बीजेपी ने फिर से कांग्रेस को निशाने पर लिया था। कांग्रेस का कहना था कि सरकार लोगों की संपत्ति लेकर उसे अल्पसंख्यकों में बांटना चाहती है। बयान पर विवाद बढ़ा तो कांग्रेस ने इस बयान से भी किनारा कर लिया था। पित्रोदा के विरासत कर यानी संपत्ति के बंटवारे वाले विवाद पर जयराम रमेश की सफाई आई थी। जयराम रमेश ने साफ कहा था कि पित्रोदा के विचार हमेशा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विचार को नहीं दर्शाते हैं। कई बार उनके जो विचार होते हैं वह कांग्रेस पार्टी का आधिकारिक रुख नहीं होते हैं।
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मंदिरों से नौकरियां नहीं पैदा होंगी

सैम पित्रोदा ने पिछले साल राम मंदिर को लेकर भी बयान दिया था। सैम के इस बयान पर भी विवाद हुआ था। सैम पित्रोदा ने कहा था कि बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दे को छोड़कर धार्मिक मामलों को तरजीह दी जा रही है। उन्होंने कहा था कि मुझे किसी भी धर्म से कोई परेशानी नहीं है। कभी-कभार मंदिर जाना ठीक है लेकिन आप उसे मुख्य मंच नहीं बना सकते हैं। पित्रोदा ने कहा था कि मंदिरों से नौकरियां पैदा नहीं होंगी। उन्होंने कहा था कि मुझे लगता है कि पिछले नौ वर्षों में हमारे समाज का ध्रुवीकरण हुआ है। धर्म पर ध्यान केंद्रित कर ध्रुवीकरण किया गया है। एक तरफ हिंदू हैं और दूसरी तरफ बाकी सब। पित्रोदा ने आरोप लगाया कि आज जिन लोगों को पूजा जा रहा है, वे भ्रष्ट, तानाशाही और दुराचारी प्रवृत्ति के हैं। बीजेपी ने इस टिप्पणी को लेकर कांग्रेस की आलोचना की थी।

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सिख दंगे: हुआ तो हुआ... पर मचा था बवाल

सैम पित्रोदा ने साल 2019 में सिख दंगों को लेकर बयान दिया था। पित्रोदा से जब 1984 के सिख दंगों को लेकर सवाल पूछा गया था। सवाल के जवाब में कांग्रेस नेता ने कहा था कि हुआ तो हुआ। पित्रोदा के इस बयान पर काफी बवाल मचा था। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस बयान को लेकर कांग्रेस की आलोचना की थी। मध्य प्रदेश में एक चुनावी रैली में पीएम मोदी ने कहा था कि भाइयो एवं बहनो, कांग्रेस वालों की क्या सचाई है ये भी जान लीजिये। 1984 में सिखों के साथ अत्याचार हुआ, कत्लेआम हुआ। ये कहते हैं-'हुआ तो हुआ'। लोग मरे तो मरे, इनको कोई लेना देना नहीं। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के बारे में कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा की टिप्पणी के खिलाफ उनका पूतला भी फूंका था। कथित तौर पर विवादित बयाद देने के स्पष्टीकरण के साथ ही और सिख समुदाय से तत्काल बिना शर्त माफी मांगने को भी कहा था। हालांकि, कांग्रेस ने बीजेपी पर पित्रोदा के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया था।

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मिडिल क्लास को स्वार्थी नहीं होना चाहिए

साल 2019 में ही सैम पित्रोदा ने देश में मध्यम वर्ग को स्वार्थी करार दिया था। एक टीवी इंटरव्यू के दौरान सैम कांग्रेस की न्याय योजना के संदर्भ में अपनी बात रख रहे थे। सैम का कहना था कि देश में अगर न्यूनतम आय योजना लागू की जाती है तो इससे थोड़ा टैक्स बढ़ जाएगा। ऐसे में मिडिल क्लास को स्वार्थी नहीं होना चाहिए और उन्हें बड़ा दिल दिखाना चाहिए। न्याय योजना में गरीबों के लिए निश्चित राशि देने की बात कही गई थी। सैम की इस टिप्पणी को लेकर पीएम मोदी ने सीधे-सीधे कांग्रेस को निशाना बनाया था। जैसी उम्मीद थी वैसा ही हुआ। पित्रोदा की टिप्पणी से विवाद खड़ा हो गया। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने स्थिति स्पष्ट करने के लिए प्रतिक्रिया दी। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने कहा था कि मिडिल क्लास पर टैक्स में कोई वृद्धि नहीं होगी। राहुल गांधी ने भी स्पष्ट किया था कि न्याय योजना लोगों के टैक्स से नहीं आएगी।

संविधान में नेहरू का अधिक योगदान

जनवरी 2024 में पित्रोदा ने संविधान में बीआर अंबेडकर से अधिक नेहरू के योगदान की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि जवाहरलाल नेहरू ने संविधान के निर्माण में बीआर अंबेडकर से ज्यादा योगदान दिया था। इसके बाद बीजेपी ने कांग्रेस को 'दलित विरोधी' पार्टी कहा था। पित्रोदा ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के पूर्व करीबी सहयोगी सुधींद्र कुलकर्णी का एक लेख साझा किया था। इस लेख में दावा किया गया था कि भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संविधान के निर्माण में बीआर अंबेडकर से अधिक योगदान दिया था।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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